“हर जान मौत का मज़ा चखने वाली है”
मौत ‘आलम-ए-दुनिया से ‘आलम-ए-आखिरत में दाख़िल होने का दरवाज़ा है, जहां से इंसान की हमेशा बाक़ी रहने वाली ज़िंदगी की शुरु‘आत होती है। ‘आलम-ए-आखिरत के दो मरहले (मंज़िलें) हैं एक ‘आलम-ए-बर्ज़ख, यानी मौत से लेकर क़ियामत के क़ाएम होने तक, और दुसरा मरहला ‘आलम-ए-हश्र से जन्नत और जहन्नम में दाख़िल होने तक । ‘आलम-ए-बर्ज़ख में दी जाने वाली सज़ा को ‘अज़ाब-ए-कब्र कहा जाता है।
जो लोग इस दुनिया में अल्लाह की नाफरमानी करते हैं उन्हें आख़िरत में ज़िल्लत और रुसवाई का सामना करना पड़ेगा और कब्र में भी उनको तरह तरह के ‘अज़ाब होंगे।
आएशा रज़ीअल्लाहु अनहा फरमाती हैं :
अल्लाह के रसूल सल्ललाहु अलैही वसल्लम की ज़ौजा मुतह्हरा सय्यदा आएशा रज़ीअल्लाहु अनहा के पास एक यहुदीया औरत आई और आकर कहती हैं “अल्लाह आपको ‘अज़ाब -ए-कब्र से बचाए”। सय्यदा आएशा रज़ीअल्लाहु अनहा फरमाती हैं कि जब मैंने यह बात सुनी तो मैने फौरन रसूल सल्ललाहु अलैही वसल्लम से सवाल कर दिया “क्या कब्र में ‘अज़ाब होगा?” कहा “हां ‘अज़ाब-ए-कब्र हक़ है” । सय्यदा आएशा फरमाती हैं “मैं फिर देखती थी कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब भी नमाज़ पढ़ते कब्र की ‘अज़ाब से अल्लाह की पनाह तलब करते”
“मुझे ये अंदेशा न होता कि तुम (खौफ और दहशद से) मुर्दों को दफनाना ही छोर दोगे तो मैं ज़रूर अल्लाह त’आला से ये दुआ करता कि वह तुम्हें भी ‘अज़ाब -ए-कब्र सुना दे जो मैं सुनता हूँ ।
अहादीस की रौशनी में कब्र के ‘अज़ाब के अस्बाब और उस से बचने वाले कुछ ‘आ’माल का ज़िक्र किया जा रहा है ता-कि उस पर ‘अमल करके हम अपने आप को क़ब्र के ‘अज़ाब से बचा सकें ।
ऊपर लिखे हुए ‘अज़ाब के कारणों की दलील बुख़ारी शरीफ़ की एक लंबी हदीस है जिसमें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बर्ज़ख (कब्र) में कुछ लोगों को तरह तरह के ‘अज़ाब होते हुए दिखलाया गया।
इब्न अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवाएत है कि रसूल सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम का गुज़र दो क़ब्रों पर हुआ तो आप ने दो मुर्दा इंसानों की आवाज़ सुनी जिन्हें उनकी कब्रों में ‘अज़ाब हो रहा था । आप सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि इन दोनों के मुर्दों पर ‘अज़ाब हो रहा है और किसी बड़े गुनाह की वजह से उन्हें ‘अज़ाब नही हो रहा है । उन में से एक शख़्स चुग़लख़ोर था और दूसरा पेशाब के छींटों से नही बचता था ।
चुगली, झूठ, ग़ीबत, झुठी क़सम, झूठा इल्ज़ाम, सुद खाना, घूस लेना, यतीमों का माल खाना, हराम खाना, शराब पीना, चोरी करना, ज़ना करना, बीद‘अत फैलाना, मुसलमान का खून बहाना, घमंड करना, इत्यादी ।
1. ईमान और ‘अमल सालेह (नेक आ’माल)
ईमान लानेवालों को अल्लाह ता’ला पक्की बात के साथ मज़बूत रखता है, दुनिया की ज़िन्दगी में भी और आखिरत में भी । और अत्याचारियों को अल्लाह विचलित कर देता है। और अल्लाह जो चाहता है, करता है।
“ मौत के बाद कब्र में जब मुसलमान से सवाल किया जाता है , तो जवाब में इस बात की ग्वाही देता है कि अल्लाह के सिवा कोई मा’बूद नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं । यही मतलब है अल्लाह के फरमान يُثَبِّتُ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ का ” ।
2. इस्लाम पर मज़बूती से क़ायम रहना
जिन लोगों ने कहा कि "हमारा रब अल्लाह है।" फिर उसी पर क़ायम रहे, उनपर फ़रिश्ते उतरते हैं कि "न डरो और न ग़म करो, और उस जन्नत की खुशखबरी सुन लो जिसका तुमसे वादा किया गया है। हम दुनिया की ज़िन्दगी में भी तुम्हारे साथी थे और आख़िरत में भी रहेंगे। और वहाँ तुम्हारे लिए वह सब कुछ है, जिसकी इच्छा तुम्हारे जी को होगी। और वहाँ तुम्हारे लिए वह सब कुछ होगा, जिसकी तुम माँग करोगे। ये सब बतौर मेहमानी बख़शिश और रहम करने वाले की तरफ से है ।"
3. सूरा मुल्क की तलावत करना
सय्यादना अब्दुल्लाह बिन मसउद रजीअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रात को मामूल के साथ सुरा मुल्क की तलावत करने वाले को जब कब्र में दाखिल किया जाएगा, तो यह ‘अज़ाब से हिफाज़त करेगी ।
4. कब्र के ‘अज़ाब से बचने की दुआ करना
अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहु अनहू से रिवाएत है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया तुम में से कोई जब तशह्हुद में बैठे तो ये चार चिज़ों के बारे में ज़रूर अल्लाह से पनाह मांगे और इस तरह दुआ करे ।
“ऐ अल्लाह मैं जहन्नम के ‘अज़ाब से और कब्र के ‘अज़ाब से और ज़िन्दगी और मौत के आज़माइश से और मसीह दज्जाल के फितने के शर से तेरी पनाह में आता हूं “।
Where is Allaah?
Sufyän ath-Thawri (رَحِمَهُ الله) said: