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‘अज़ाब-ए-कब्र

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّ حِيْم
मौत एक ऐसी ह़क़ीक़त है जिस का कोई शख़्स इंकार नही कर सकता । हर नफ़्स को मौत से दोचार होना है । कुर’आन में अल्लाह त’आला का फरमान है :

كُلُّ نَفۡسٍ ذَآئِقَةُ ٱلۡمَوۡتِۗ ِ

(आले इमरान 185)

“हर जान मौत का मज़ा चखने वाली है”

मौत ‘आलम-ए-दुनिया से ‘आलम-ए-आखिरत में दाख़िल होने का दरवाज़ा है, जहां से इंसान की हमेशा बाक़ी रहने वाली ज़िंदगी की शुरु‘आत होती है। ‘आलम-ए-आखिरत के दो मरहले (मंज़िलें) हैं एक ‘आलम-ए-बर्ज़ख, यानी मौत से लेकर क़ियामत के क़ाएम होने तक, और दुसरा मरहला ‘आलम-ए-हश्र से जन्नत और जहन्नम में दाख़िल होने तक । ‘आलम-ए-बर्ज़ख में दी जाने वाली सज़ा को ‘अज़ाब-ए-कब्र कहा जाता है।

जो लोग इस दुनिया में अल्लाह की नाफरमानी करते हैं उन्हें आख़िरत में ज़िल्लत और रुसवाई का सामना करना पड़ेगा और कब्र में भी उनको तरह तरह के ‘अज़ाब होंगे।

आएशा रज़ीअल्लाहु अनहा फरमाती हैं :

عَنْ عَائِشَةَ ـ رضى الله عنها ـ أَنَّ يَهُودِيَّةً، دَخَلَتْ عَلَيْهَا، فَذَكَرَتْ عَذَابَ الْقَبْرِ، فَقَالَتْ لَهَا أَعَاذَكِ اللَّهُ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ‏.‏ فَسَأَلَتْ عَائِشَةُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَنْ عَذَابِ الْقَبْرِ فَقَالَ ‏"‏ نَعَمْ عَذَابُ الْقَبْرِ ‏"‏‏.‏ قَالَتْ عَائِشَةُ ـ رضى الله عنها ـ فَمَا رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم بَعْدُ صَلَّى صَلاَةً إِلاَّ تَعَوَّذَ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ‏.‏

अल्लाह के रसूल सल्ललाहु अलैही वसल्लम की ज़ौजा मुतह्हरा सय्यदा आएशा रज़ीअल्लाहु अनहा के पास एक यहुदीया औरत आई और आकर कहती हैं “अल्लाह आपको ‘अज़ाब -ए-कब्र से बचाए”। सय्यदा आएशा रज़ीअल्लाहु अनहा फरमाती हैं कि जब मैंने यह बात सुनी तो मैने फौरन रसूल सल्ललाहु अलैही वसल्लम से सवाल कर दिया “क्या कब्र में ‘अज़ाब होगा?” कहा “हां ‘अज़ाब-ए-कब्र हक़ है” । सय्यदा आएशा फरमाती हैं “मैं फिर देखती थी कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब भी नमाज़ पढ़ते कब्र की ‘अज़ाब से अल्लाह की पनाह तलब करते”

(सहीह बुखारी 1372)
‘अज़ाब-ए-कब्र हक़ है और इतना ज़्यादा भयानक और डरावना है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

فَلَوْلاَ أَنْ لاَ تَدَافَنُوا لَدَعَوْتُ اللَّهَ أَنْ يُسْمِعَكُمْ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ الَّذِي أَسْمَعُ مِنْهُ ‏"‏

“मुझे ये अंदेशा न होता कि तुम (खौफ और दहशद से) मुर्दों को दफनाना ही छोर दोगे तो मैं ज़रूर अल्लाह त’आला से ये दुआ करता कि वह तुम्हें भी ‘अज़ाब -ए-कब्र सुना दे जो मैं सुनता हूँ ।

(सही मुस्लिम 2867)

अहादीस की रौशनी में कब्र के ‘अज़ाब के अस्बाब और उस से बचने वाले कुछ ‘आ’माल का ज़िक्र किया जा रहा है ता-कि उस पर ‘अमल करके हम अपने आप को क़ब्र के ‘अज़ाब से बचा सकें ।

क़ब्र के ‘अज़ाब का कारण

1. अल्लाह के साथ शिर्क करना
2. कुर’आन सीख कर छोड़ देना
3. फ़र्ज़ नमाज़ को छोड़ कर सो जाना
4. झूठी ख़बर फैलाना
5. ज़नाकारी करना
6. सूद खाना ।

ऊपर लिखे हुए ‘अज़ाब के कारणों की दलील बुख़ारी शरीफ़ की एक लंबी हदीस है जिसमें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बर्ज़ख (कब्र) में कुछ लोगों को तरह तरह के ‘अज़ाब होते हुए दिखलाया गया।

  • एक शख़्स का सर पत्थर से कुचला जा रहा था ये वो शख़्स था जो क़ुर’आन सिखता था और फिर उसे छोड़ देता था और फ़र्ज़ नमाज़ को छोड़ कर सो जाता था
  • एक शख़्स का ज़ब्रांन गुद्दी तक और नाक गुद्दी तक और आँख गुद्दी तक चिरा जा रहा था । ये वो शख़्स था जो सुबह अपने घर से निकलता और झूठी खबर बनाता जो दुनिया में फैल जाती
  • कुछ नंगे मर्द और नंगी औरतों को तनूर जैसी किसी चीज़ में देखा । आग की लपट आकर उन्हें लपेट लेती और वह चिल्लाने लगते वे ज़नाकार मर्द और औरतें थीं
  • एक शख़्स खून की तरह सुर्ख़ नहर में तैर रहा था और जब किनारे आता तो अपना मुँह खोल देता और नहर के किनारे पर खड़ा दूसरा शख़्स उसके मुँह में एक पत्थर डाल देता और फिर वह तैरने लगता । वह सूद खाने वाला था
(सही बुखारी-7047)
7. पेशाब से पवित्रता प्राप्त न करना, और लोगों के बीच ग़ीबत और चुगली खाते फिरना ।

عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رضى الله عنه، قَالَ خَرَجَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم مِنْ بَعْضِ حِيطَانِ الْمَدِينَةِ، فَسَمِعَ صَوْتَ إِنْسَانَيْنِ يُعَذَّبَانِ فِي قُبُورِهِمَا فَقَالَ ‏"‏ يُعَذَّبَانِ، وَمَا يُعَذَّبَانِ فِي كَبِيرَةٍ، وَإِنَّهُ لَكَبِيرٌ، كَانَ أَحَدُهُمَا لاَ يَسْتَتِرُ مِنَ الْبَوْلِ، وَكَانَ الآخَرُ يَمْشِي بِالنَّمِيمَةِ ‏"‏‏.‏

इब्न अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवाएत है कि रसूल सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम का गुज़र दो क़ब्रों पर हुआ तो आप ने दो मुर्दा इंसानों की आवाज़ सुनी जिन्हें उनकी कब्रों में ‘अज़ाब हो रहा था । आप सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि इन दोनों के मुर्दों पर ‘अज़ाब हो रहा है और किसी बड़े गुनाह की वजह से उन्हें ‘अज़ाब नही हो रहा है । उन में से एक शख़्स चुग़लख़ोर था और दूसरा पेशाब के छींटों से नही बचता था ।

(बुख़ारी 6055)
ईमाम इब्न क़य्यम रहीमहुल्लाह ने अपनी किताब ‘अर्रूह’ में ‘अज़ाब-ए-क़ब्र के बहुत सारे असबाब बयान कीए हैं । उन में से कुछ निम्नलिखित हैं ।

चुगली, झूठ, ग़ीबत, झुठी क़सम, झूठा इल्ज़ाम, सुद खाना, घूस लेना, यतीमों का माल खाना, हराम खाना, शराब पीना, चोरी करना, ज़ना करना, बीद‘अत फैलाना, मुसलमान का खून बहाना, घमंड करना, इत्यादी ।

क़ब्र के ‘अज़ाब से बचाने वाले आ‘माल

1. ईमान और ‘अमल सालेह (नेक आ’माल)

يُثَبِّتُ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ بِٱلۡقَوۡلِ ٱلثَّابِتِ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا وَفِي ٱلۡأٓخِرَةِۖ وَيُضِلُّ ٱللَّهُ ٱلظَّٰلِمِينَۚ وَيَفۡعَلُ ٱللَّهُ مَا يَشَآءُ

ईमान लानेवालों को अल्लाह ता’ला पक्की बात के साथ मज़बूत रखता है, दुनिया की ज़िन्दगी में भी और आखिरत में भी । और अत्याचारियों को अल्लाह विचलित कर देता है। और अल्लाह जो चाहता है, करता है।

(सुरा इब्राहीम 27)
इसकी तफसीर हदीस में इस तरह आती है कि

“ मौत के बाद कब्र में जब मुसलमान से सवाल किया जाता है , तो जवाब में इस बात की ग्वाही देता है कि अल्लाह के सिवा कोई मा’बूद नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं । यही मतलब है अल्लाह के फरमान يُثَبِّتُ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ का ” ।

( सहीहैन-किताबुत्तफसीर)

2. इस्लाम पर मज़बूती से क़ायम रहना

إِنَّ ٱلَّذِينَ قَالُواْ رَبُّنَا ٱللَّهُ ثُمَّ ٱسۡتَقَٰمُواْ تَتَنَزَّلُ عَلَيۡهِمُ ٱلۡمَلَٰٓئِكَةُ أَلَّا تَخَافُواْ وَلَا تَحۡزَنُواْ وَأَبۡشِرُواْ بِٱلۡجَنَّةِ ٱلَّتِي كُنتُمۡ تُوعَدُونَ نَحۡنُ أَوۡلِيَآؤُكُمۡ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا وَفِي ٱلۡأٓخِرَةِۖ وَلَكُمۡ فِيهَا مَا تَشۡتَهِيٓ أَنفُسُكُمۡ وَلَكُمۡ فِيهَا مَا تَدَّعُونَ نُزُلٗا مِّنۡ غَفُورٖ رَّحِيمٖ

जिन लोगों ने कहा कि "हमारा रब अल्लाह है।" फिर उसी पर क़ायम रहे, उनपर फ़रिश्ते उतरते हैं कि "न डरो और न ग़म करो, और उस जन्नत की खुशखबरी सुन लो जिसका तुमसे वादा किया गया है। हम दुनिया की ज़िन्दगी में भी तुम्हारे साथी थे और आख़िरत में भी रहेंगे। और वहाँ तुम्हारे लिए वह सब कुछ है, जिसकी इच्छा तुम्हारे जी को होगी। और वहाँ तुम्हारे लिए वह सब कुछ होगा, जिसकी तुम माँग करोगे। ये सब बतौर मेहमानी बख़शिश और रहम करने वाले की तरफ से है ।"

(हा मीम-30,31,32 )
तफसीर में है कि फ़रिश्ते ये खुशखबरी तीन जगहों पर देते हैं, मौत के समय, क़ब्र में और क़ब्र से दोबारा उठाए जाने के समय ।

3. सूरा मुल्क की तलावत करना

सय्यादना अब्दुल्लाह बिन मसउद रजीअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रात को मामूल के साथ सुरा मुल्क की तलावत करने वाले को जब कब्र में दाखिल किया जाएगा, तो यह ‘अज़ाब से हिफाज़त करेगी ।

(अल-मुअज्जम-अल-कबीर लिल-तिबरानी 8652)

4. कब्र के ‘अज़ाब से बचने की दुआ करना

अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहु अनहू से रिवाएत है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया तुम में से कोई जब तशह्हुद में बैठे तो ये चार चिज़ों के बारे में ज़रूर अल्लाह से पनाह मांगे और इस तरह दुआ करे ।

اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ وَمِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ وَمِنْ شَرِّ فِتْنَةِ الْمَسِيحِ الدَّجَّالِ ‏"‏

“ऐ अल्लाह मैं जहन्नम के ‘अज़ाब से और कब्र के ‘अज़ाब से और ज़िन्दगी और मौत के आज़माइश से और मसीह दज्जाल के फितने के शर से तेरी पनाह में आता हूं “।

(सहीह मुस्लिम 588a)
अल्लाह से दुआ है कि वह हम सब को ‘अज़ाब-ए-कब्र से सुरक्छित रखे । आमीन

Where is Allaah?

Allah is above the 'Arsh

"They fear their Lord above them, and they do what they are commanded." [al-Nahl 16:50]
"Do you feel secure that He, Who is over the heaven, will not cause the earth to sink with you?" [al-Mulk 67:16]

Sufyän ath-Thawri (رَحِمَهُ الله) said:

"The example of the scholar is like the example of the doctor,he does not administer the medicine except on the place of the illness.”

(Al-Hilyah 6/368)

Shaykh Sālih al-'Uthaymin said:

"Indeed knowledge is from the best acts of worship and is one of the greatest and most beneficial of it. Hence, you will find Shaytan keeping people away from (seeking) knowledge."
[فتاوى نور على الدرب ۱۲/۲]